Monday, 13 October 2014

जाने क्यों मेरी करवटें मुझसे जो कहें,तेरी सिलवटें छुप जो सहें...

किससे कहूँ मैं किसकी याद आती है,जाने क्यों यहीं तो मेरे होंठ हैं सिले. तेरी अनसुनी दायारें कयीं,मेरी अनकही बोलों में कहीं..कैसे हो तुम, पूछेंगे हम,कैसे हैं हम, पूछोगे तुम...