Wednesday, 17 December 2014

कतरा कतरा मिलती है....दीपू की बच्ची को ज़िन्दगी...

कतरा कतरा मिलती है
कतरा कतरा जीने दो
ज़िंदगी है, बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो

तुमने तो आकाश बिछाया
मेरे नंगे पैरों में ज़मीन है
देखे तो तुम्हारी आरज़ू है
शायद ऐसे ज़िन्दगी हसीन है
आरज़ू में बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो

कल भी तो कुछ ऐसा ही हुआ था
नींद में थी तुमने जब छुआ था
गिरते गिरते बाहों में बची मैं
सपने पे पाँव पड़ गया था
सपनों में रहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो