खुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में
इक पुराना ख़त खोला अनजाने में !
शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं
चाँद ने कितनी देर लगादी आने में !
दिल पर दस्तक देने ये कौन आया है
किसकी आहट सुनता हूं वीराने में !
जाने किसका ज़िक्र है इस अफ़साने में
दर्द मज़ा लेता है जो दोहराने में !!