Monday, 2 June 2014

मेरा जिस्म.....[गुलज़ार साहिब]

मुझे मेरा जिस्म छोड़कर बह गया नदीं में!
अब उस किनारे पहुंच के मुझको बुला रहा है
मैं इस किनारे पे डूबता जा रहा पैहम
मैं कैसे तैरूं बगैर उसके!!
मुझे मेरा जिस्म छोड़कर बह गया नदी में!!