Monday, 2 June 2014

तुम्हे छोड़ के अब जीने को जी तो नहीं...

तुम्हे छोड़ के अब जीने को जी तो नहीं,
तुम्हे छोड़ के मर जाने को जी करता है.
तुम्हारे बिना जीना- मरना क्या.
तुम्हे छोड़ के अब जीने को जी तो नहीं...

तेरे प्यार में दिल जला तो जला,
तेरी सांस से जिस्म भी जल गया,
तेरे प्यार में जल के बुझना क्या.
तुम्हे छोड़ के यूँ अब जीने को जी तो नहीं...

ज़मीं पे नहीं हम, पुकारो हमें,
चाँद हो गए हैं उतारो हमें,
तुम जो नहीं, चाँद पे बसना क्या.
तुम्हे छोड़ के अब जीने को जी तो नहीं...

आँखों ने कही और ज़ुबां हो गई, इतनी सी क़सम दास्ताँ हो गई,
आँखों ने कही और ज़ुबां हो गई, छोटी सी क़सम दास्ताँ हो गई,
कहते हुए दास्ताँ रुकना क्या.
तुम्हे छोड़ के अब जीने को जी तो नहीं...

तुम्हे छोड़ के मर जाने को जी करता है.
तुम्हारे बिना जीना- मरना क्या...
तुम्हे छोड़ के अब जीने को जी तो नहीं......