Thursday 18 December 2014

उलझन

एक पशेमानी रहती है ….उलझन और गिरानी भी...
आओ फिर से लड़कर देंखें ,
शायद इससे बेहतर कोई ,
और सबब मिल जाए हमको ...फिर से अलग हो जाने का !!

~*~गुलज़ार साहिब~*~

Umar...Gulzar sahib

http://youtu.be/L2BkArN2O9E

~*~........~*~.........~*~
Umr kitni Khoobsurti se utarti hai chehre par.....
Aur kitne Khoobsurat Nishaan banati hai...........
Aahistaa Aahistaa aapki Peshani khol deti hai.....
Aankhon ke pass kono main,Lakeerein khinchti rehti hai.
Fir unhe Aahistaa Aahistaa ,,aur Gehra karti rehti hai...
Aansu apni ek Dhara bana leta hai,,ek apni lakeer khinchta hua,,,,Rukhsaar se gujar jata hai........
Umr ke Nishan hi to hai wo sare....
Wo Aahistaa Aahistaa aapke chehre ka ek KHaKA banate hai.....jo khoobsurat se khoobsurat hota chala jata hai....
Lekin,,,,umr ka ye safar Do tarfa hai........
Jaise jaise aage badhti jati hai Umr,,,
Peeche ki Tasveerein saamne aane lagti hai......Kai baar,,
Jee chahta hai ki apne,,Maazii se fir se mila jaye,,,ya,,,
Apne Maazii ko saamne le aaye.........
Unke saath saath chalein,,,,,Main kabhi mud kar dekhta hu,,,,,to,,,Bazaar se katati hui patli si gali nazar aati hai
School se Bhaga hua ek ladka nazar aata hai,,,,....
Jise Teachers acche nahi lagte the.......
Wo ek Gilhari ko apne Kitaab ki Tasveerein dikha kar...
Bahut khush hota tha..........
Imli ke ped par tangi kati hui Patang Uski lataki hui Dor..
Kabhi haath aati hai.....kabhi nahi aati......
"Ek din to Main bhi kabhi Budhaa hounga"
"....Accha Khayal hai....."
~*~Gulzar Sahib~*~

दीपू की बच्ची के कुछ सुस्त कदम गुलज़ार साहिब के गीले गीले भीगे लफ़्ज़ों के साथ....

मुझे अफ़सोस है सोनां
कि मेरी नज़्म से होकर गुज़रते वक्त बारिश में
परेशानी हुई तुमको
बड़े बेवक्त आते हैं यहां सावन
मेरी नज़्मों की गलियां यों भी अक्सर भीगी रहती है
कई गड्ढों में पानी जमा रहता है
अगर पांव पड़े तो मोच आ जाने का ख़तरा है

मुझे अफ़सोस है लेकिन-
परेशानी हुई तुमको कि मेरी नज़्म में कुछ रोशनी कम है
गुज़रते वक्त दहलीजों के पत्थर भी नहीं दिखते
कि मेरे पैरों के नाख़ून कितने बार टूटे हैं-
हुई मुद्दत कि चैराहे पे अब बिजली का खंभा भी नहीं जलता
परेशानी हुई तुमको-
मुझे अफ़सोस है सचमुच!

Wednesday 17 December 2014

कतरा कतरा मिलती है....दीपू की बच्ची को ज़िन्दगी...

कतरा कतरा मिलती है
कतरा कतरा जीने दो
ज़िंदगी है, बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो

तुमने तो आकाश बिछाया
मेरे नंगे पैरों में ज़मीन है
देखे तो तुम्हारी आरज़ू है
शायद ऐसे ज़िन्दगी हसीन है
आरज़ू में बहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो

कल भी तो कुछ ऐसा ही हुआ था
नींद में थी तुमने जब छुआ था
गिरते गिरते बाहों में बची मैं
सपने पे पाँव पड़ गया था
सपनों में रहने दो
प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो

Thursday 11 December 2014

तेरे उतारे हुए दिन...दीपिका गुलज़ार साहिब के से कुछ दिन बीनते हुए...

"तेरे उतारे हुए दिन...टंगे है लॉन में अब तक
ना वो पुराने हुए है ..ना उनका रंग उतरा
कही से कोई भी सिवन ..अभी नहीं उधड़ी

इलायची के बहुत पास रखे पत्थर पर
ज़रा सी जल्दी सरक आया करती है छाँव
ज़रा सा और घना हो गया है वो पौंधा
मैं थोडा थोडा वो गमला हटाता रहता हूँ
फकीरा अब भी वहीँ, मेरी कॉफ़ी देता है

गिलहरियों को बुलाकर खिलाता हूँ बिस्कुट
गिलहरियाँ मुझे शक की नज़र से देखती है
वो तेरे हांथों का मस जानती होगी

कभी - कभी जब उतरती है चील शाम की छत से
थकी - थकी सी ...ज़रा देर लॉन में रुककर
सफ़ेद और गुलाबी मसुम्बे के पोंधों में घुलने लगती है
कि जैसे बर्फ का टुकड़ा पिघलता जाये व्हिस्की में

मैं स्कार्फ दिन का गले से उतार देता हूँ
तेरे उतारे हुए दिन पहन के अब भी मैं
तेरी महक में कई रोज़ काट देता हूँ
तेरे उतारे हुए दिन ...

【गुलज़ार साहब】
【दीपिका.डी के.....हिन्दी ट्रेल्स...】

Monday 1 December 2014

कभी अलविदा ना कहना....Deepika Dk's....Hindi Trails


तुम को भी हैं खबर, मुझ को भी हैं पता

हो रहा हैं जुदा, दोनों का रास्ता

दूर जा के भी मुझ से, तुम मेरी यादों में रहना

कभी अलविदा ना कहना


जितनी थी खुशियाँ सब खो चुकी हैं

बस एक गम हैं के जाता नहीं

समझा के देखा, बहला के देखा

दिल हैं के चैन इस को आता नहीं

आँसू हैं के हैं अंगारें, आग हैं अब आँखों से बहना

कभी अलविदा ना कहना


रुत आ रही हैं, रुत जा रही हैं

दर्द का मौसम बदला नहीं

रंग ये गम का इतना हैं गहरा

सदियों भी होगा हल्का नहीं

कौन जाने क्या होना हैं

हम को हैं अब क्या क्या सहना

कभी अलविदा ना कहना

∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆


तुम्ही देखो ना ये क्या हो गया
तुम्ही देखो ना ये क्या हो गया
तुम्हारा हूँ मैं और तुम मेरी
मैं हैरान हूँ तुम्हें क्या कहूं
के दिन में हुई कैसी चाँदनी
जागी जागी सी है फिर भी ख़्वाबों में है
खोयी खोयी जिन्दगी
तुम्ही देखो ना ये क्या हो गया
तुम्हारा हूँ मैं और तुम मेरी

बहके बहके से मॅन
महके महके से तन
उजली उजली फ़िज़ाओं में है
आज हम है जहाँ
कितनी रंगीनियाँ
छलकी छलकी निगाहों में है
नीली नीली घटाओं से है छन रही
हलकी हलकी रौशनी
तुम्ही देखो ना ये क्या हो गया
तुम्हारा हूँ मैं और तुम मेरी
मैं हैरान हूँ तुम्हें क्या कहूं
के दिन में हुई कैसी चाँदनी

मैं तो अनजान थी यूं भी होगा कभी
प्यार बरसेगा यूं टूट के
सच ये इकरार है सच यही प्यार है
बाकी बन्धन है सब झूठ के
मेरी साँसों में है घुल रही प्यार की
धीमी धीमी रागिनी
तुम्हीं देखो ना ये क्या हो गया
तुम्हारा हूँ मैं और तुम मेरी
मैं हैरान हूँ तुम्हें क्या कहूँ
के दिन में हुई कैसी चाँदनी
जागी जागी सी है फिर भी ख़्वाबों में है
खोयी खोयी जिन्दगी
तुम्ही देखो ना येह क्या हो गया
तुम्हारा हूँ मैं और तुम मेरी
येह दिन में हुई कैसी चाँदनी