Sunday 25 March 2018

भूलना मत

आम की सोर पर
मत करना वार
नहीं तो महुआ रात भर
रोएगा जंगल में
कच्चा बांस कभी काटना मत
नहीं तो सारी बांसुरियाँ
हो जाएंगी बेसुरी
कल जो मिला था राह में
हैरान-परेशान
उसकी पूछती हुई आँखें
भूलना मत
नहीं तो सांझ का तारा
भटक जाएगा रास्ता          

     किसी को प्यार करना

तो चाहे चले जाना सात समुंदर पार
पर भूलना मत
     कि तुम्हारी देह ने एक देह का
          नमक खाया है।
        ~केदरनाथ सिंह~

           (Image courtsey Google)