Thursday 24 July 2014

गुलज़ार साहिब....

शीशम अब तक सहमा सा चुपचाप खड़ा है,
भीगा भीगा ठिठुरा ठिठुरा.
बूँदें पत्ता पत्ता कर के,
टप टप करती टूटती हैं तो सिसकी की आवाज
आती है!
बारिश के जाने के बाद भी,
देर तलक टपका रहता है !

तुमको छोड़े देर हुई है--
आँसू अब तक टूट रहे हैं

[फोटो कर्टसी गूगल]