Friday 25 July 2014

हाँ वो ही तो....वो ही...

तेरे बिना भी कभी तुझ से मचल लेती हूँ
करवट बदलती हूँ तो सपना बदल लेती हूँ
तेरा ख्याल आए तो बल खा के पल जाता है
पानी की चादर तले तन मेरा जल जाता है
हाँ वहीं वो वहीं ...

तेरे गले मिलने के मौसम बड़े होते हैं
जन्मों का वादा कोई ये ग़म बड़े छोटे हैं
लम्बी सी इक रात हो लम्बा सा इक दिन मिले
बस इतना सा जीना हो मिलन की घड़ी जब मिले
हाँ वहीं वो वहीं ...

गुलज़ार साहिब