Friday 9 May 2014

ऐ ज़िंदगी गले लगा ले

ऐ ज़िंदगी गले लगा ले
हमने भी तेरे हर इक ग़म को
गले से लगाया है - है ना
ऐ ज़िंदगी ...

हमने बहाने से, छुपके ज़माने से
पलकों के परदे में, घर कर लिया  
तेरा सहारा मिल गया है ज़िंदगी

तेरा सहारा मिल गया है ज़िंदगी
ऐ ज़िंदगी ...

छोटा सा साया था,  आँखों में आया था
हमने दो बूंदो से मन भर लिया    
हमको किनारा मिल गया है ज़िंदगी,
हमको किनारा मिल गया है ज़िंदगी
ऐ ज़िंदगी ..
[गुलज़ार साहब]