Wednesday 7 May 2014

Song : फिर से आईयो, बदरा बिदेसी

एक मूड एक केफियत गीत का चेहरा होता हे कुछ सही से लफ्ज़ जड़ दो , मोजों से धुन की लकीरें खीच दो तो नगमा सांस लेने लगता हे जिंदा हो जाता हे , बस इतनी सी जान होती हे एक गाने की एक लम्हे के जितनी हाँ कुछ लम्हे बरसों जिंदा रहते हैं ,गीत बूढ़े नहीं होते उनके चेहरों पर झुर्रियां नहीं गिरतीं । वो पलते रहते हैं चलते रहते हैं । सुनने वालों की उम्र बदल जाती है तो कहते हैं । हां वो उस पहाड़ का टीला जब बादलों से ढंक जाता था आवाज़ सुनाई दिया करती थी.........

Song : Fir se ayeo

फिर से आईयो, बदरा बिदेसी । तेरे पंखों में पे मोती जड़ूंगी ।
भरके जाईयो हमारी तलैंया, मैं तलैया के नारे मिलूंगी ।
तुझे मेरे काले कमली वाले की सौं ।
तेरे जाने की रूत मैं जानती हूं, मुड़के आने की रीत है कि नहीं ।
हो काले दरग़ाह से पूछूंगी जाके तेरे मन में प्रीत है कि नहीं ।
कच्‍ची पुलिया से होके बजरिया, कच्‍ची पुलिया के नारे मिलूंगी ।
फिर से आईयो बदरा बिदेसी ।।

तू जो रूक जाए, मेरी अटरिया, मैं अटरिया पे झालर लगा दूं ।
डालूं चार ताबीज़ गले में अपने काजल से बिंदिया लगा दूं ।
छूके जाईयो, हमारी बगीची, मैं पीपल के आंडे मिलूंगी ।
फिर से आईयो बदरा बिदेसी ।

Song :हज़ार राहें मुड के देखी

लाख कसमें दीं लालच दिए पर जाने वाले लोटे नहीं।  सिर्फ राहों पर उड़ते हुए सन्नाटों का गुबार छोड़ गए  ।  कब तक कोई सन्नाटें फांदता रहे  ।  ज़िन्दगी तो चलती रहती हे ।  सिर्फ गिले रह जाते हैं  ।  और वफाओं के झुके हुए सजदे शायद कोई आए कोई आवाज़ दे कहीं से ।

Song : Hazar rahen mud ke dekhi