Tuesday, 27 May 2014

सफ्हे.....किताबों के..

कभी हवा की तरह" साहेब "
~~~~तमाम सफहे किताबों के,
फड़फड़ाने लगे,
हवा धकेल कर दरवाज़ा ,
आ गई घर में,
कभी हवा की तरह,
तुम भी,
आया जाया करो....
♥गुलज़ार साहिब♥