ज़रा सी गर पीठ नंगी होती
फटे हुए होते उसके कपडे
लबों पे गर प्यास की रेत होती
और एक दो दिन का फ़ाक़ा होता
लबों पे सुखी हुई सी पपड़ी
ज़रा सी तुमने जो छीली होती
तो खून का का एक दाग होता ,
तो फिर ये तस्वीर बिक ही जाती !
प्यार भरे दो शर्मीले नैन जिनसे मिला मेरे दिल को चैन कोई जाने ना क्यूं मुझसे शर्माए कैसे मुझे तड़पाए दिल ये कहे गीत मैं तेरे गाऊँ तू ही सुने और मैं गाता जाऊं तू जो रहे साथ मेरे दुनिया को ठुकराऊं तेरा दिल बहलाऊँ रूप तेरा कलियों को शर्माये कैसे कोई अपने दिल को बचाये पास है तू फिर भी जानम कौन तुझे समझाये सावन बीता जाये डर है मुझे तुझसे बिछड़ ना जाऊं खो के तुझे मिलने की राह न पाऊँ ऐसा न हो जब भी तेरा नाम लबों पर लाऊँ मैं आंसूं बन जाऊं जिनसे मिला मेरे दिल को...