चौदहवीं रात के इस चाँद तले
सुरमई रात में साहिल के क़रीब
दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू
ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब
बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से
तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी
दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू
चौदहवीं रात के इस चाँद तले !
प्यार भरे दो शर्मीले नैन जिनसे मिला मेरे दिल को चैन कोई जाने ना क्यूं मुझसे शर्माए कैसे मुझे तड़पाए दिल ये कहे गीत मैं तेरे गाऊँ तू ही सुने और मैं गाता जाऊं तू जो रहे साथ मेरे दुनिया को ठुकराऊं तेरा दिल बहलाऊँ रूप तेरा कलियों को शर्माये कैसे कोई अपने दिल को बचाये पास है तू फिर भी जानम कौन तुझे समझाये सावन बीता जाये डर है मुझे तुझसे बिछड़ ना जाऊं खो के तुझे मिलने की राह न पाऊँ ऐसा न हो जब भी तेरा नाम लबों पर लाऊँ मैं आंसूं बन जाऊं जिनसे मिला मेरे दिल को...