Friday, 9 May 2014

नैना मेरे नीर बहायें...

दो नैनो में आँसू भरे हैं, निंदिया कैसे समाये

डूबी डूबी आखों में, सपनों के साये
रातभर अपने हैं, दिन में पराये
कैसे नैनों में निंदिया समाये

झूठे तेरे वादों पे बरस बिताये
जिंदगी तो काटी, ये रात कट जाये
कैसे नैनों में निंदिया समाये

दो नैनो में आँसू भरे हैं, निंदिया कैसे समाये
[गुलज़ार साहब]