क्यो बार बार आँखों में तुम करवट लेते हो
ना सोते हो, ना मुझको तुम सोने देते हो
कहा छुपे हो सीने में तुम साँसें भारी रहती हैं
नींद में हो या सपनों में, क्यो पलकें भारी रहती हैं
सारे अंग तुम अपने रखना, आँख का रंग तो मेरा हो
थोड़ी थोड़ी शाम की रंगत, हल्का हल्का सवेरा हो
क्यो बार बार आँखों में तुम करवट लेते हो
ना सोते हो, ना मुझको तुम सोने देते हो.......