खड़खडाता है आह सारा बदन
खपच्चियाँ जैसे बाँध रख्खी है
खोखले बाँस जोड़ रख्खे हों
कोई रस्सी कहीं से खुल जाये
रिश्ता टूटे कहीं से जोड़ो का
और बिखर जाये जिस्म का पिंजर
इस बदन में ये रूह बेचारी
बाँसूरी जानकर चली आयी
समझी होगी मिलेंगे सुर इसमें..
प्यार भरे दो शर्मीले नैन जिनसे मिला मेरे दिल को चैन कोई जाने ना क्यूं मुझसे शर्माए कैसे मुझे तड़पाए दिल ये कहे गीत मैं तेरे गाऊँ तू ही सुने और मैं गाता जाऊं तू जो रहे साथ मेरे दुनिया को ठुकराऊं तेरा दिल बहलाऊँ रूप तेरा कलियों को शर्माये कैसे कोई अपने दिल को बचाये पास है तू फिर भी जानम कौन तुझे समझाये सावन बीता जाये डर है मुझे तुझसे बिछड़ ना जाऊं खो के तुझे मिलने की राह न पाऊँ ऐसा न हो जब भी तेरा नाम लबों पर लाऊँ मैं आंसूं बन जाऊं जिनसे मिला मेरे दिल को...